वाराणसी ।काशी में स्थित बाबा विश्वनाथ जी की भाषा संस्कृत एवं भारतीय ज्ञान परम्परा के संरक्षण के लिए स्थापित प्राच्यविद्या का केन्द्र सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी का 67वाँ स्थापना दिवस समारोह चैत्र शुक्ल द्वितीया दिन बुधवार को वेद भवन में पूर्वाह्न 10:30 बजे से कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया है। इस अवसर पर “शक्ति समाराधन” कार्यक्रम का भी आयोजन किया जायेगा।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि 67 वें स्थापना दिवस के अवसर पर बुधवार को अपरान्ह 2:00 बजे से “सनातन परम्परा और विश्वगुरु भारत” विषय पर एकदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन एतिहासिक मुख्य भवन में आयोजित किया गया है।संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी तथा विशिष्ट अतिथि केंद्रीय उच्च शिक्षा तिब्बती संस्थान, सारनाथ के कुलपति प्रो वङछुग दोर्जे नेगी जी होंगे।

कुलपति प्रो शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय का इतिहास जब बनारस राज्य के दौरान, ईस्ट इंडिया कंपनी के निवासी जोनाथन डंकन ने भारतीय शिक्षा एवं संस्कृत वांग्मय के अभ्युदय एवं विकास के लिये मूलतः ‘शासकीय संस्कृत महाविद्यालय’ था जिसकी स्थापना सन् 1791 में की गई थी। वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ जिसमें हजारों पाण्डुलिपियाँ संगृहीत हैं।

22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया। उस समय इसका नाम ‘वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय’ था।

सन् 1974 में इसका नाम बदलकर ‘सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय’ रख दिया गया।

ऋषि तुल्य आचार्यों ने तप और कठोर साधना से इस संस्था को सशक्त बनाया साथ ही वर्तमान में उनके दिये गये मार्ग पर अग्रसर है।

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