
वाराणसी।संविधान निर्माता बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी के”जन्म दिवस की पूर्व संध्या पर आज सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के श्रमण विद्या संकाय में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कार्यकारी कुलपति संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राम पूजन पांडे ने कहा कि अंबेडकर साहब एक अवतारी पुरुष थे।
वे सामाजिक समरसता के भी प्रतीक थे। सर्व संपदा से विभूषित होते हुए भी संविधान निर्माता बाबा साहब ने अपने जीवन का प्रत्येक क्षण राष्ट्र के लिए समर्पित रखा। बाबा साहब विधि विशेषज्ञ होते हुए महान अर्थशास्त्री भी थे। संविधान शिल्पी डॉ अंबेडकर साहबअनेक विद्या के पारंगत एवं प्रमाणिक विद्वान थे फिर भी हमेशा अध्यनरत रहते थे। विविध संस्कृति सभ्यता वाले इस देश को एक सूत्र में बांधकर नई दिशा देने वाले बाबा साहब के प्रति भारत वर्ष के सभी नागरिक ऋणी है।
मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति नव नालंदा महाविहार के प्रोफेसर राम नक्षत्र प्रसाद ने बाबा भीमराव के विविध आयामों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि बाबा साहब ने एक नवीन अध्याय का सृजन किया। जनसेवा सामाजिक न्याय एवं संघर्ष के स्पष्ट प्रतिमूर्ति बाबा भीमराव अंबेडकर थे। बाबा साहब के शैक्षिक जीवन में समाज के अभिजात्य वर्ग का भी महान योगदान रहा है। राजनेता के साथ-साथ एक महान बौद्ध संत थे जिन्होंने शिक्षा, सभ्यता, संघर्ष तीनों को जीवन का मुख्य अंग बनाने के लिए समाज को अभिप्रेरित किया। पूना पैक्ट की चर्चा करते हुए प्रोफेसर राम नक्षत्र प्रसाद ने बताया कि संविधान शिल्पी अंबेडकर ने आरक्षण वंचितों एवं गरीबों के उत्थान के लिए आवश्यक बताया।
मुख्य वक्ता पूर्ण संकायाध्यक्ष प्रोफेसर हर प्रसाद दीक्षित ने बाबा साहब को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपने उद्बोधन के माध्यम से बताया कि बाबा साहब का व्यक्तित्व एवं कृतित्व हम सभी के लिए अनुकरणीय। बौद्ध धर्म में निहित सर्व समावेशी एवं सामाजिक न्याय से प्रभावित होकर बाबा साहब ने बौद्ध धर्म को अपनाया एवं भगवान बुद्ध के मार्ग पर चलने के लिए सभी को प्रेरित किया। भारत देश के प्रति बाबा साहब का योगदान अविस्मरणीय है। इस सभा में विश्वविद्यालय के अध्यापकों एवं छात्रों ने बाबा साहब के चित्र पर पुष्प माला से अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
सभा का संचालन प्रोफेसर रमेश प्रसाद, स्वागत भाषण प्रोफेसर हरिशंकर पांडे एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर रविशंकर पांडे किया।
इस पावन अवसर पर प्रोफेसर अमित शुक्ला, प्रोफेसर विधु द्विवेदी, प्रोफेसर दिनेश गर्ग , प्रोफेसर महेंद्र पांडे, विदेशी बौद्ध भिक्षु छात्रगण कर्मचारी गण उपस्थित थे।
