
पट्टाभिषेक उत्सव का सातवां दिन
नज़र न्यूज नेटवर्क/मुख्य संवाददाता
वाराणसी। शरण में आए जीव के योग क्षेम की चिंता स्वयं प्रभु श्रीराम करते हैं राक्षस राज विभीषण की कथा प्रभु के उदार चरित्र की मात्र एक झांकी है इस आशय के उदगार आचार्य उलीमिरी सोमायाजुलू ने सोमवार को आंध्र आश्रम में चल रहे श्रीराम साम्राज्य पट्टाभिषेक उत्सव के उद्बोधन सत्र में व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अभी ना तो लंका प्रयान हुआ था नहीं युद्ध की रणभेरी बजी थी, मगर कृपा सिंधु रघुकुल तिलक ने राक्षस राज विभीषण का अपने हाथों पट्टाभिषेक कर भवितव्य का संकेत दे दिया।
उत्सव के सातवें दिन मानसरोवर स्थित आश्रम की यज्ञशाला में अन्य देवताओं के साथ लंका सम्राट विभीषण को भी हव्य अर्पित किया गया। वाल्मीकि रामायण के वचन क्रम में आज आचार्य व विधि विदुषियों ने युद्ध कांड का पारायण किया। आश्रम के मैनेजिंग ट्रस्टी वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि 18 अप्रैल को आयोजित पत्ताभिषेक अनुष्ठान के अवसर पर उत्सव समिति की ओर से अयोध्या में श्रीराम प्रभु की वेदिका की यंत्र पीठिका जागृत करने वाले मानत्रिक चिदंबर शास्त्री (आंध्रा प्रदेश) को सम्मान किया जाएगा। कार्यक्रम का संयोजन आश्रम के प्रबंधक वीवी सीताराम ने किया।
इस अवसर पर यूआरके मूर्ति, येन वी एस मूर्ति, यू राधा कृष्ण, यस भास्कर राव,श्रीकृष्ण प्रहलाद, उमा महेश्वरी आदि लोग उपस्थित रहे।
