वाराणसी। वरुणापुल, कचहरी के शास्त्री घाट पर विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी इक्कीसवां मां वरुणा महोत्सव का आयोजन राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा बोर्ड के राष्ट्रीय महासचिव गायक -अनुज दूबे के प्रमुख संयोजन में कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के कवि, कलाकार संयोजन/संचालन में, प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश, डॉ.सुबाषचंद्र, राकेश चंद्र पाठक महाकाल, डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय निर्भय, डॉ. महेंद्र अलंकार के स्वागत संरक्षण में प्रयागराज के पूर्व जिला जज एवं अंतर्राष्ट्रीय गज़लकार डॉ. चंद्रभाल सुकुमार के अध्यक्षता में दी सेंट्रलबार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एवं काशी सेवा समिति के सभापति डॉ. रामअवतार पाण्डेय एडवोकेट पंडित प्रकाश मिश्र ज्योतिषी प्रमुख अतिथि द्वय, कवि गिरीश पाण्डेय बनारसी, कवयित्री मणिबेन द्विवेदी ,डा.उदय शंकर भगत विशिष्ट अतिथित्रय के गरिमामयी उपस्थिति में मां वरूणा सन्देश साहित्यिक/ सांस्कृतिक साझा संग्रह के आवरण पृष्ठ का विमोचन, मां वरुणा स्मृति सम्मान विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 108 लोगों को मंचीय एवं आनलाईन भेंट किया गया। तत्पश्चात् पर्यावरण जागरूकता साहित्य/सांस्कृतिक संगम का आयोजन किया गया।

राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा बोर्ड के संस्थापक कवि स्व. नरेंद्र नाथ दूबे अडिग एडवोकेट के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए डॉ.राम अवतार पाण्डेय एडवोकेट ने कहा कि अडिग जी सचमुच महान थे, रहते थे धरा पर लेकिन उनके सोच आसमान थे, कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक ने कहा कि स्व.अजीत श्रीवास्तव चपाचप बनारसी जी कवि सम्मेलनों के जान थे, आयोजन अध्यक्ष डॉ. चंद्रभाल सुकुमार ने पर्यावरण एवं जल की शुद्धता बनाए रखने का हर जन-जन से आह्वान करते हुए कहा कि जल और पर्यावरण के लिए हम सबको सदैव सतर्क रहते हुए उसके लिए समर्पण का भाव रखने की आवश्यकता है।

कवि सम्मेलन में मंगलाचरण डॉ.उदय शंकर भगत, ओमप्रकाश पाण्डेय निर्भय ने किया।

सिद्धनाथ शर्मा सिद्ध ने -नौ नगद ना तेरह उधार चाहिए,रितू दीक्षित ने -बहकता लोग बाबा भंगिया पीके, बड़ा लागता अंखियां में लोग नीके, झरना मुखर्जी ने – टुकड़ों में बिखरना नहीं, जुड़ना है ज़िन्दगी,सुमति श्रीवास्तव ने -खो रहा प्यार है, प्रेम व्यापार है, द्वन्द्व होता रहा,प्रीत खोता रहा, डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय निर्भय ने -मैं ही मां वरुणा निरंतर प्रवाहित थके हारे निराश्रितों की आधार थी, वरूणा अस्सी नदियों को नाला कचडों से पाट डाला, चिंतित बनारसी ने – कश्मीर से मेरे शादी का पैगाम आया है, पाकिस्तान के रास्ते खुलेआम आया है, राजीव नन्दन मिश्र ने- नवरात्रि पावन महीना देवी का मंदिर सजा है, भक्त दर्शन को चले हैं,चाहे पग में छाले पड़े हैं,कमलदेव स्वदेशी ने -कट गया फिरंगी के द्वारा धड़ हिन्दुस्तान का बेचारा, कायरता का है प्रतीक,ये हिन्दुस्तान का बंटवारा,फायर बनारसी ने -खेतों और खलिहानों में हम अब बारूद बम उगाएगें,चावल रोटी नहीं चलेगी, नास्ता -भोजन अमरीका से मंगाएंगे, विजय चंद्र द्विवेदी,डा. अशोक राय अज्ञान, डॉ. पुष्पेंद्र अस्थाना पुष्प, विनय पाण्डेय बहुमुखी, डॉ.शरद श्रीवास्तव शरद, विवेक चंद्र श्रीवास्तव, जयप्रकाश मिश्र धानापुरी, संतोष कुमार प्रीत, आनन्द सिंह अन्ना, राकेश चौबे संगम, गिरीश पाण्डेय बनारसी, नर्मदा मिश्र, अनिता कुशवाहा, घनश्याम पाण्डेय, जितेन्द्र पाण्डेय, मुनीन्द्र कुमार मुन्ना, भगवती प्रसाद गोड़, विजय कोमल सोनी, सितार वादक एवं सूफ़ी गायक ध्रुव दुबे, रोहित सेठ रविन्द्र गुप्ता,साक्षी,रेखा सिंह, मकबुल अहमद,गोपाल दास गुप्ता, संतोष सिंह, पूनम श्रीवास्तव, पुरूषोत्तम चतुर्वेदी,दीपक कुमार सहित अनेकों कवियों, कलाकारों के साथ -साथ विधिक सलाहकारों, पत्रकारों ने भी महोत्सव में मां वरूणा स्मृति सम्मान प्राप्त करके पर्यावरण एवं जल की शुद्धता को बचाने का आह्वान किया।

स्वागत संयोजन ओमप्रकाश पाण्डेय निर्भय,भगवती प्रसाद गोड़, विजय कोमल सोनी, विनय पाण्डेय बहुमुखी, धन्यवाद आभार प्रमुख संयोजक अनुज दूबे एवं कवि गिरीश पाण्डेय बनारसी ने संयुक्त रूप से किया।

महोत्सव के पश्चात् मां वरुणा म्यूजिक एकेडमी के कार्यालय का शुभ उदघाटन पूर्व जिला जज एवं अंतर्राष्ट्रीय गज़लकार डॉ. चंद्रभाल सुकुमार एवं प्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश ने राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा बोर्ड कार्यालय में किया।

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