सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने किया शुभारंभ

 

 

वाराणसी।संग्रहालय समाज का दर्पण होता है और यह संग्रहालय हमारी प्राचीन संस्कृति को जन सामान्य तक पहुँचाता है। उक्त विचार सम्पूर्णानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० बिहारी लाल शर्मा ने अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किया। उन्होने कहा कि प्रतिभागियों इस तपन मे जो तप किया है, उसका फल उन्हे अवश्य मिलेगा।

सगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि उद्बोधित करते हुए विश्वविद्यालय के आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के सकायाध्यक्ष प्रो० हीरक कान्ति चकवर्ती ने कहा कि इस सग्रहालय द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला से जो ज्ञान और अनुभव प्रतिभागियों ने प्राप्त किया है उसे अपने आगे के जीवन एवं अपने कार्यक्षेत्र में प्रयोग करेंगे तो उन्हे लाभ होगा।

समापन सत्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर आयोजित संगोष्ठी को सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० राजनाथ ने कहा कि इस तरह के कार्यशाला एवं संगोष्ठी के आयोजन से प्रतिभागियों को नयी नयी तकनीकों एवं विधाओं की जानकारी मिलती है। संग्रहालय हमारे प्राचीनता का दर्पण है।

समापन सत्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर आयोजित संगोष्ठी में स्वागत भाषण एवं विषय प्रतिस्थापन करते हुए संग्रहालयाध्यक्ष कार्यशाला संयोजक डॉ० विमल कुमार त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तकों में सैद्धातिक रूप से संग्रहालय के लिए आदर्श परिस्थितियों एवं नियमों का उल्लेख रहता है जबकि भौतिक रूप से संग्रहालय में उससे विषम और भिन्न परिस्थितियाँ होती है जिससे सग्रहालयाध्यक्ष को निपटना होगा।

संगोष्ठी में कार्यशाला के प्रतिभागियों को आधुनिक ज्ञान विज्ञान संकाय के सकायाध्यक्ष प्रो० हीरक कान्ति चकवर्ती एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० राजनाथ द्वारा प्रमाणपत्र वितरित किया गया।

समापन सत्र एवं अन्तर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस पर आयोजित संगोष्ठी से पूर्व विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० बिहारी लाल शर्मा ने सग्रहालय में एक “काशी विरासत’ विषयक त्रिदिवसीय(18 से 20 मई) छायाचित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया। इस प्रदर्शनी का संयोजन संग्रहालयाध्यक्ष डॉ० विमल कुमार त्रिपाठी एवं छाया चित्रण प्रसिद्ध छायाकार राजकुमार प्रसून ने किया है।

संगोष्ठी का संचालन डा. रविशंकर पाण्डेय एवं धन्यवाद ज्ञापन डा. विशाखा शुक्ला ने किया।

बैठक में प्रमुख रूप से डा. विजेन्द्र आर्य डा. मनोज मिश्र, कैलाशनाथ सिंह , संजय तिवारी एवं कार्यशाला के प्रतिभागी इत्यादि उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *