श्रावण मास पर्व

 

आलेख – रामयश मिश्रा

वाराणसी। श्री रामचरितमानस के रचयिता संत गोस्वामी तुलसीदास महाराज ने अपनी रचना विनय पत्रिका में काशी की स्तुति करते हुए कहा है कि कलयुग में काशीपुरी कामधेनु गाय के समान है काशी के चारों ओर की मर्यादा अर्थात चौहद्दी ही कामधेनु के श्रेष्ठ चरण है देव लोक वासी उन चरणों की सेवा करते हैं यहां के सब तीर्थ स्थान ही इसके पवित्र अंग हैं अविनाशी अगणित शिवलिंग ही रोम है अंतरगृही रहने के लिए बढ़िया घर है अर्थ धर्म काम मोक्ष ये चारों फल ही चार थन है और वेद पर विश्वास रखने वाले लोग ही बछड़े हैं अर्थात जिस प्रकार बछड़े से गाय पेनाह कर दूध देती है उसी प्रकार वेद वचन मे जो विश्वास है, उस विश्वास रुपी बछरु से ईश्वर प्राप्ति रूपी दूध देती है। वरुणा नदी ही मानो ललरि होकर सुशोषित हो रही है। आसि नदी गाय के पूछ के रूप में विराजमान है। दंड पाडी और भैरव इसके दो सिंह हैं। यह कामधेनु अपने इन दोनों सींगो से पाप में रुचि रखने वाले लोगो को भयभीत करती रहती है। लोलार्क कुंड और त्रिलोचन एक तीर्थ ये दो नेत्र हैं ।करणघंटा नाम का स्थान इसके गले में बना हुआ घंटा रूप है।मणिकर्णिका नाम का स्थान चंद्रमा के समान सुंदर मुख है । गंगा जी से जो सुख प्राप्त हो रहा है वहीं इसका शोभा है । स्वार्थ और परमार्थ से परिपूर्ण पंचकोसी परिक्रमा की महिमा है। कृपालचित विश्वनाथ जी इसका पालन करने वाले हैं और पार्वती जैसी देवी इसका सदैव लालन करती रहती है । अष्ट सिद्धियां इंद्राणी और सरस्वती इसकी पूजा करती है और और लक्ष्मी सरीखी तीनो लोग की स्वामिनी इसका रुख देखती रहती है। पंचाक्षरी मंत्र इसका पंचप्राण है भगवान बिंदु माधव आनंद है और पंच नदी पंचगंगा पंचगव्य रूप है। संसार को विकसित करने वाले राम नाम के दो अक्षर ब्रह्म और जीव के समान है। यहां सूकर्म कुकर्म कर के जितने प्राणी मरते हैं। उनका यह शुभ अशुभ कर्मरूपी घास है इसका चारा है -उसी का यह चरा करती है। उस चारे को खाकर यह कामधेनु मोक्ष रूपी पवित्र दूध देती है, उसे मरने वाले प्राणी पीते हैं ।यह मोक्ष रूपी दुध इतना दुर्लभ है कि इसके लिए संसार में उदासीन संत महात्मा तरसते हैं। पुराणों का कथन है कि भगवान बिंदुमाधव अपने हाथों से इसकी रचना की है उनकी है कारीगरी कला रूप है । तुलसीदास कहते हैं कि काशी में मरने वाले जीव चाहे वह मानव रूपी हो या कीट पतंगे सबका भगवान शिव तारक मंत्र देकर उसे जीवन मरण से मुक्ति प्रदान करते हैं गोस्वामी जी द्वारा विनय पत्रिका में लिखी गई है बातें यह सिद्ध करता है कि भगवान शंकर काशी में रहने वाले सभी जीवो को मुक्ति प्रदान करते हैं।

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