
वाराणसी।नागपंचमी पर्व हमारी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो प्रकृति के प्रति हमारी श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है। यह पर्व सर्पों की पूजा के रूप में मनाया जाता है, जो हमारी प्राचीन ज्ञान परम्परा का एक अभिन्न अंग है।
कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने कहा, नागपंचमी पर्व हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और उसका सम्मान करने की याद दिलाता है। यह पर्व हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाना चाहिए और उसका संरक्षण करना चाहिए। भारत में प्रकृति के विभिन्न रूपों को आस्था और विश्वास से जोड़ने की परंपरा है, जिससे श्रद्धा का जन्म होता है। श्रावण मास में भोलेनाथ की पूजा और आस्था का माह माना जाता है, और इसी माह में नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “नागपंचमी का पर्व प्रकृति के जीवों के प्रति श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है। बारिश के मौसम में नाग पूजा करने से अन्य जीवों का संरक्षण किया जा सकता है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ जुड़ने और उसका सम्मान करने की याद दिलाता है। यह पर्व हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाना और संरक्षण करना सिखाता है।
यह पर्व हमारी संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो हमें प्रकृति के महत्व को याद दिलाता है।”
उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में जब हम प्रकृति के साथ तेजी से दूर होते जा रहे हैं, नागपंचमी पर्व हमें प्रकृति के महत्व को याद दिलाता है और हमें उसके साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करता है।नागपंचमी पर्व के अवसर पर, हमें प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारी को याद रखना चाहिए और उसका संरक्षण करने के लिए काम करना चाहिए।
