पुण्य तिथि की पूर्व संध्या पर स्वरांजलि में प्रस्तुत किये गये यादगार गीत

 

वाराणसी। तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे,जब कभी भी सुनोगे गीत मेंरे संग संग तुम भी गुनगुनाओगे पार्श्व गायक स्व.मोेहम्मद रफी के गाये इस गीत के साथ 31 जुलाई पुण्य तिथि की पूर्व संध्या पर स्वरांजलि के माध्यम से रविवार की शाम यादगार गीतों से उभरते कलाकारों ने महान गायक को अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। ज्ञातव्य हो कि स्वरांजलि एक ऐसी संस्था है जिसमें सारे सदस्य गाने गाते हैं और कोई भी पेशेवर गायक नहीं है। ये सारे लोग मिल कर हर स्व.कलाकार को उसके जन्म दिन व पुण्य तिथि पर अपनी आवाज के माध्यम से सुरमयी श्रद्धांजलि देते रहे हैं। उसी क्रम में रविवार की शाम संजय गुप्ता व मुकेश मेहरोत्रा के संयोजन में औरंगाबाद स्थित एक लाज की छत पर पार्श्व गायक स्व.मोहम्मद रफी की याद में स्वरांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सबसे पहले रफी साहब के चित्र पर माल्यार्पण कर सभी लोगों ने अपनी श्रद्धांजलि दी उसके बाद चिराग रौशन कर सुरों के बादशाह को उभरते कलाकारों ने अपनी आवाज के जरिये उनके गाये गीतों को पेशकर सुरमय श्रद्धांजलि देने का सिलसिला शुरु किया। जहां रफी साहब के एकल गीतों में तेरे नाम का दिवाना,पत्थर के सनम,मै जिंदगी का साथ निभाता चला गया,सुख के सब साथी दुख में ना कोय ये सारे गीतों ने श्रोताओं की तालियां बटोरीं वहीं छुप गये सारे नजारे , तेरी बिंदिया रे,सौ साल पहले,दीवाना हुआ बादल,ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं। इन युगल गीतों ने महफिल को वर्षों पहले की यादों के झूले में अच्छी तरह झुला दिया। रविवार की शाम छह बजे शुरु हुआ कार्यक्रम देर रात तक चलता रहा मौके पर मौजूद दर्शकों ने जमकर तालियों से कलाकारों का उत्साह वर्धन किया। इस अवसर पर संजय गुप्ता, राजेश दीक्षित, श्याम बुबना, संजय बुबना ,श्याम गोयल, मुकेश मेहरोत्रा, यशवंत भारद्वाज, महेश खन्ना, अनूप उपाध्याय, रितू वर्मा आदि उभरते कलाकारों ने ट्रैक के माध्यम से अपनी आवाज स्व.रफि साहब के नाम श्रद्धांजलि के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन आलोक मालवीय व योगेश फिलिप्स ने धन्यवाद ज्ञापन संजय गुप्ता व मुकेश मेहरोत्रा ने किया।

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