गोरखपुर। विश्व हिंदी शोध संवर्धन अकादमी तथा हिंदी विभाग काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आचार्य रामचंद्र शुक्ल सभागार में आयोजित ” आधुनिक कविता में राष्ट्रीय चेतना ” विषयक ” दो दिवसीय संगोष्ठी में “उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद की शिक्षिका अर्चना सिंह को “काव्य गरिमा” सम्मान से सम्मानित किया गया।

मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ वशिष्ठ अनूप के कर कमलों द्वारा यह सम्मान प्रदान किया गया l

सम्मान स्वरूप प्रशस्ति पत्र, सम्मान पत्र, स्मृति चिन्ह, पुष्पमाल्य , चादर और पुस्तकें भेंट की गईं। बीएचयू हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ वशिष्ठ अनूप, केशव जालान भाईजी, भोलानाथ त्रिपाठी विह्वल,  डॉ राम सुधार सिंह, डॉ चंद्रकांता राय, टीकाराम शर्मा आचार्य, डॉ सविता सौरभ तथा अन्य गणमान्य साहित्यकारों की उपस्थिति में अर्चना सिंह के साहित्यिक व्यक्तित्व पर बोलते हुए डॉ राम सुधार सिंह ने कहा कि “साहित्य की लगभग सारी विधाओं में अर्चना सिंह गंभीरता से निरंतर लिख रही हैं। इनके गीत सम्मोहक और प्रभावशाली होते हैं। हिंदी गीत कविता के शिखर,कुशल वक्ता और सामाजिक सरोकार के भाव-वैभव से संपन्न व्यक्तित्व के धनी, अकादमी के संस्थापक निदेशक कविताम्बरा के संपादक वरिष्ठ साहित्यकार हीरालाल मिश्र मधुकर ने कहा कि ‘अर्चना जी के लेखन की आज सर्वत्र चर्चा हो रही है। साहित्य के प्रति इनका समर्पण प्रेरक है। सहजता, सादगी और संवेदना का मिश्रित रूप हैं l अर्चना सिंह ने पत्रकारों से वार्ता में अपने भावोद्गार में कहा कि – “काशी की पवित्र धरती पर यह स्नेह-आशीर्वाद जो मुझे मिला है इसे मैं बाबा विश्वनाथ के प्रसाद और भारतीय साहित्य के सरोकार के सम्मान के रूप में मानती और स्वीकारती हूंँ। मेरे शब्दकर्म के प्रति जो स्नेह बीएचयू हिंदी विभाग और विश्व हिंदी शोध संवर्धन अकादमी ने  दिया है उसे मैं पूरी निष्ठा से जीवन-संजीवनी की तरह आत्मसात करती हूंँ। विदित हो कि विभिन्न कृतियों की यशस्वी रचनाकार अर्चना सिंह को राष्ट्रीय स्तर पर कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हैं।

सम्मानित होने पर डॉ महेंद्र मधुकर, डॉ इंदु सिन्हा, डॉ शारदाचरण, डॉ रामप्रवेश सिंह, डॉ रवींद्र उपाध्याय, डॉ निर्मला सिंह, डॉ पूनम, रीना मिश्रा, साधना त्रिपाठी, डॉ निशा, रीतू दीक्षित आदि ने प्रसन्नता व्यक्त किया l

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