
बुद्ध की शिक्षाएं लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं— कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।
वाराणसी।तथागत बुद्ध ने अपने ज्ञान और शिक्षाओं से समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। उनके प्रमुख अवदानों में बौद्ध धर्म की स्थापना, आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना, नैतिकता और मूल्यों पर जोर देना और सामाजिक सुधार के लिए काम करना शामिल है। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव विश्वभर में देखा गया और आज भी प्रासंगिक हैं।तथागत बुद्ध का अवदान भारतीय ज्ञान परंपरा में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं। उनकी शिक्षाएं हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।
उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के श्रमण विद्या संकाय के अन्तर्गत “बुद्ध जयंती” पर्व के पूर्व संध्या एवं राष्ट्र में शांति के लिये आयोजित “भारतीय ज्ञान परम्परा में तथागत बुद्ध का अवदान” विषय पर केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन वि.वि., सारनाथ, वाराणसी के कुलपति प्रो. वाड्छुक दोर्जे नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।
कुलपति प्रो नेगी ने कहा कि *चित्त और अचित्त: बौद्ध दर्शन में एक महत्वपूर्ण अवधारणा*—
बौद्ध दर्शन में, चित्त और अचित्त दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं जो मन और चेतना की प्रकृति को समझने में मदद करती हैं।
चित्त और अचित्त बौद्ध दर्शन में महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं जो मन और चेतना की प्रकृति को समझने में मदद करती हैं। चित्त की गतिविधियों को समझने और अचित्त की अवस्था को प्राप्त करने से व्यक्ति आत्म-ज्ञान और आध्यात्मिक विकास की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
बतौर मुख्य वक्ता:प्रो. हरिशंकर शुक्ल, विभागाध्यक्ष, पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, का. हि.वि.वि., वाराणसी ने कहा कि तथागत बुद्ध के प्रमुख अवदान और उनकी शिक्षाओं का प्रभाव तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो अहिंसा, करुणा और आत्म-ज्ञान पर आधारित है। उन्होंने अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया, जिससे उन्हें जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद मिली। तथागत बुद्ध ने नैतिकता और मूल्यों के महत्व पर जोर दिया, जैसे कि सत्य, अहिंसा और करुणा। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक सुधार के लिए काम किया। उनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रभाव डाला है और आज भी प्रासंगिक हैं।
बतौर विशिष्ट अतिथि:प्रो. हर प्रसाद दीक्षित, पूर्व संकायाध्यक्ष, श्रमण विद्या संकाय ने कहा कि तथागत बुद्ध का अवदान भारतीय ज्ञान परंपरा में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं। उनकी शिक्षाएं हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।
बतौर अध्यक्षीय उद्बोधन
बुद्ध जयंती के पर्व पर बतौर अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर बिहारी लाल शर्मा ने कहा कि तथागत बुद्ध के प्रमुख अवदान तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो अहिंसा, करुणा और आत्म-ज्ञान पर आधारित है। उन्होंने अपने अनुयायियों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया, जिससे उन्हें जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद मिली। तथागत बुद्ध ने नैतिकता और मूल्यों के महत्व पर जोर दिया, जैसे कि सत्य, अहिंसा और करुणा। उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई और सामाजिक सुधार के लिए काम किया।
उनकी शिक्षाओं ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में प्रभाव डाला है और आज भी प्रासंगिक हैं। उनकी शिक्षाएं लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं और उन्हें सकारात्मक दिशा में प्रेरित करती हैं।
कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि
बौद्ध दर्शन में दुःख निरोध के उपायों का उद्देश्य दुःख के कारणों को समझना और उन्हें दूर करना है। इसके लिए तीन मुख्य उपाय हैं:तृष्णा का त्याग,अष्टांग मार्ग,ध्यान और आत्म-ज्ञान इन उपायों के माध्यम से हम दुःख से मुक्त हो सकते हैं और निर्वाण की प्राप्ति कर सकते हैं। यह बौद्ध दर्शन का मूल उद्देश्य है, जो हमें जीवन के वास्तविक अर्थ और उद्देश्य को समझने में मदद करता है।
प्रो. रमेश प्रसाद, संकायाध्यक्ष, श्रमण विद्या संकाय ने स्वागत और अभिनंदन करते हुये सम्पूर्ण विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि तथागत बुद्ध का अवदान भारतीय ज्ञान परंपरा में अत्यधिक महत्वपूर्ण है और उनकी शिक्षाएं आज भी लोगों को जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझने में मदद करती हैं। उनकी शिक्षाएं हमें जीवन के सही मार्ग पर चलने और समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करती हैं।
न्याय शास्त्र के उद्भट विद्वान प्रोफेसर रामपूजन पाण्डेय ने धन्यवाद कार्यक्रम का संचालन डॉ मधुसूदन मिश्र ने किया
वैदिक, पौराणिक, पालि एवं प्राकृत मंगलाचरण किया गया।
मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती एवं महात्मा बुद्ध के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।
मंच पर आसीन अतिथियों का माल्यार्पण,अंग वस्त्र ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत और अभिनंदन किया।
प्रो जितेन्द्र कुमार, रजनीश कुमार शुक्ल,प्रो हरिशंकर पाण्डेय, प्रो महेंद्र पाण्डेय,प्रो सुधाकर मिश्र,प्रो अमित कुमार शुक्ल, प्रो हीरक कांत चक्रवर्ती, प्रो राघवेन्द्र जी, प्रो दिनेश कुमार गर्ग,डॉ विशाखा शुक्ला, डॉ मधुसूदन मिश्र आदि उपस्थित थे।
