रिपोर्ट अशरफ आदिल, 

फूलपुर। मोहर्रम में मैदाने कर्बला में हक वा बातिल के बीच हुई जंग में इमाम हुसैन सहित 71 जां निशां ने दीन मोहम्मद की हिफाजत हेतु अपनी जाने गवाई। तत्कालिक बादशाह यजीद हुसैनी घराने को अपनी बैयत कराना चाहता था परंतु इमाम हुसैन अपने अनुयायियों के साथ सदैव इनकार करते रहे। अंत में नवी मोहर्रम को यजीदी फौज से इकहत्तर हुसैनी जां निशानों की जंग मैदान ए कर्बला में हुई जिसमें सभी हुसैनी शहीद कर दिए गए। जिनका चालीसवां 10वीं मोहर्रम के बाद 40 दिन पर मनाया जाता है जगह-जगह ताजिया निकाली जाती है और मोहल्ले में गस्त करते हुए कर्बला ले जाते है। और यहां पुरनम आंखों से हकीकत के फूलों को ताजिया से निकाल कर दफन किया जाता है ।और सभी शहीदों के हक में दुआएं की जाती है फूलपुर का ऐतिहासिक ताजिया तमाम निर्धारित मोहल्ले में घूमते हुए कर्बला में सूर्यास्त के समय कमेटी के अध्यक्ष सैयद बलागत हुसैन के अध्यक्षता में दफन की गई मौके पर मोहम्मद शागिर, इरफान जैदी, हैदर अब्बास, सैयद बदरूल हसन जैदी, मो सत्तार, सैफ, मुजम्मिल, सलमान, आदि लोग मौजूद रहे।

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