19 वर्षीय वेदमूर्ति श्री देवव्रत महेश रेखे ने दण्डक्रम पारायण पूरा किया, जो युवा पीढ़ी की प्रतिबद्धता का द्योतक है। कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा।

 

वाराणसी सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में आयोजित एक गरिमामय समारोह में वेदमूर्ति श्री देवव्रत महेश रेखे को दण्डक्रम-त्रिविक्रम उपाधि से अलंकृत किया गया। कुलपति प्रो. बिहारीलाल शर्मा जी के अध्यक्षत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में डा. ज्ञानेन्द्र सापकोटा ने संयोजकत्व तथा डा. विजय कुमार शर्मा एवं डा. दुर्गेश पाठक ने सह-संयोजकत्व किया।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि

वेद,भारतीय ज्ञान परम्परा की आत्मा हैं। 19 वर्ष की आयु में दण्डक्रम पारायण जैसा दुष्कर अनुष्ठान पूरा करना हमारी वैदिक परम्पराओं की जीवंतता और युवा पीढ़ी की प्रतिबद्धता का द्योतक है। सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय सदैव ऐसे प्रतिभाशाली वेदाभ्यासियों के संरक्षण, प्रोत्साहन एवं संवर्धन हेतु तत्पर रहेगा।शुक्ल यजुर्वेद में जो दंड क्रम परायण आपने किया है जिसमें 2000 मन्त्र और ढाई लाख पद बिना किसी बाधा के बिना किसी असुविधा के जो आपने सम्पन्न किये उसमें आपके पिता जी के प्रभाव से और लाल अपने पिता के पुण्य से लाल होता है और वह हमेशा माला माल होता है। हमें हमेशा अपने बुजुर्गो का अपने श्रेष्ठ जनों का अपने माता पिता का सम्मान करना चाहिए। ऐ जो हमारे बीच बटुक बैठे है आप इनसे प्रेरणा लेकर और आप यह संकल्प ले कि जो देवव्रत प्रतिज्ञा लेकर दिखाए है वही आप भी दिखाये।

दुनिया में असम्भव कुछ भी नहीं है और ज़ब देवव्रत संकल्प लेकर यह दंड क्रम परायण कर सकते है तो हम क्यों नहीं, आप भी कर सकते है बस आपका संकल्प मजबूत होना चाहिए।

आप इस पवित्र धरती पर है जहाँ अनाथों के नाथ विश्वनाथ है और भगवती शारदा कण कण में विराजमान रहती है वहाँ असम्भव कुछ भी नहीं है।

19 वर्षीय वेदमूर्ति श्री देवव्रत महेश रेखे ने काशी की प्राचीन वैदिक परम्परा को पुनः प्रकाशमान किया। उन्होंने शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिनी शाखा का सविधि दण्डक्रम पारायण पूर्ण किया। यह दुर्लभ साधना दीर्घकाल की कठोर तपश्चर्या और उच्चारण-अनुशासन की मांग करती है। अल्प आयु में इसे सम्पन्न करना विलक्षण उपलब्धि है। परीक्षक विद्वानों ने इसे ‘उत्कृष्ट, शास्त्रीय एवं अनुकरणीय’ बताया।

उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें दण्डक्रम-त्रिविक्रम उपाधि से अलंकृत किया गया।

कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने इस सम्मान समारोह में अभिनन्दन पत्र के साथ दण्डक्रमत्रिविक्रम उपाधि से अंकित एक शिल्ड, एक अंगवस्त्र तथा एक उष्णीष (पगडी) प्रदान की गई।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय परिवार के सभी सदस्यों ने सहर्ष उपस्थित हो वेदमूर्ति देवव्रत जी का सम्मान किया।

इस अवसर पर भारत धर्म माहामण्डल के सचिव राजेश राय, स्वामी नारायणानन्द वेदविद्यालय, वेदनिधि ट्रस्ट अस्सी, स्वामी वेदान्ती वेदविद्यापीठ खोजवाँ, श्री पट्टाभिरामशास्त्री वेदविद्यानुसन्धान केन्द्र, आचार्य गोपालचन्द्र मिश्र वैदिक उन्नयन संस्थान, वेदशास्त्रानुसन्धान केन्द्र धर्मसंघ दुर्गाकुण्ड आदि काशी के सुप्रतिष्ठित संस्थाओं के सदस्यों ने माल्यार्पण कर स्वागत एवं अभिनन्दन किया

मंगलाचरण डॉ. विजय कुमार शर्मा ने तथा संचालन व धन्यवाद डॉ. ज्ञानेंद्र सापकोटा ने किया।

उक्त अवसर पर कुलसचिव राकेश कुमार,प्रो. रामपूजन पांडे, प्रो. दिनेश कुमार गर्ग, प्रो. महेंद्र पांडे, प्रो. जितेंद्र कुमार, डॉ. मधुसूदन मिश्र तथा भारत धर्म महामंडल के सचिव राजेश राय, स्वामी नारायणानन्द तीर्थ वेद विद्यालय, वेदनिथि ट्रस्ट, अस्सी के गुरुजन व वटुक उपस्थित थे।

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