(लेखक गण :-प्रोफेसर सोम शंकर एवं वैज्ञानिक प्रेम शंकर दुबे)
इस समय जो भी कुछ विश्व में या हमारे आस पास हो रहा है वह कुछ कह रहा है जो बिल्कुल साफ़ है और स्पष्ट है, किन्तु इसे समझा नहीं जा रहा । विचारें कि एक तरफ उक्रेन और रूस लड़ रहे तो दूसरी ओर एकाएक भूमध्य में इसराइल और पड़ोसी देशों में युद्ध प्रारंभ हो गया है।
दोनों ही स्थानों पर समानता एक ही बात की है कि वह आपसी पड़ोसी है, हो सकता है कि उनकी कोई आपसी मतभेद या आर्थिक समस्या हो जो किसी को दिख नहीं रही है और न ही वह देश इसे व्यक्त कर रहे है। ऐसे समय में वैश्विक संगठन युएनओ कहाँ गायब है, वह कब क्याकरेगा ? थोड़े में कहा जाय तो सबकुछ अर्थहीन और निष्प्रभावी दिख रहा है।
अब इस पर विचार करें कि क्या यह अचानक पैदा समस्या है या यह कोई विश्व शक्तियों का प्रभाव है?
कुछ ही दिनों पूर्व एक हमारे लेख में यह स्पष्ट किया गया था कि इस समय बुध और शुक्र ग्रहों का पूर्ण प्रभाव हो रहा है। क्योंकि वह अपने यौवन के समय में है और बुध अग्नि तो शुक्र उन्माद में हैं उससे सम्पूर्ण विश्व प्रभावित हो रहा है।अब थोडा विचार युद्ध के स्थान पर भी करना होगा।युद्ध स्थान भूमध्य में है और यदि देशांतर रेखा को देखने पर दोनों की स्थिति उत्तर से दक्षिण जाने वाली लाइन के बहुत ही करीब ही है,ग्रहों के बल लगभग सीधी रेखाओं में ही पड़ते है।अतः जो है वह खगोलीय कारणों से स्पष्ट है और इस पर हमारे और अन्य वैज्ञानिक अवश्य विचार करें।
स्तिथितियाँ मानव के अनुकुल नहीं हैं अतः शांति धारण करने की आवश्यकता है।नवरात्रि के समय में शांति की उपासना श्रेष्ठ होगा।भारतीय चिंतन तो सीधी बात बताता है
सर्वे भवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु माँ कश्चित् दुःख भाग्भवेत!!
भारत महाभारत की जगह शांति का उद्घोष करे।इसी में पृथ्वी और मानव का कल्याण है ।