वाराणसी। डीएवी पीजी कॉलेज में आइक्यूएसी के अंतर्गत डीएवी पीजी कॉलेज, लिवरम फॉउन्डेशन एवं के टु पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में पर्यावरण, साहित्य एवं सिनेमा विषय पर आयोजित दो दिवसीय महासम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को भी कई विद्वानों ने विचार रखे साथ ही विभिन्न सामाजिक सरोकारों पर आधारित शॉर्ट फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया। दूसरे दिन मुख्य वक्ता प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि बाजारीकरण के दौर में साहित्य कही खो सा गया है, आधुनिकता की गहरी धुंध समाज मे फैल रही है जिसमे सिनेमा का बड़ा किरदार है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता का पैमाना विचारों से है ना कि केवल परिवेश से है। उन्होंने यह भी कहा कि पर्यावरण को संरक्षित करने में समाज, साहित्य और सिनेमा सबकी समान हिस्सेदारी है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. अनुराग कुमार ने कहा कि साहित्य लोक का प्रतिपक्ष दर्शाता है, साहित्य ही एक ऐसा तत्व है जिसमें लोक की हिस्सेदारी होती है। जनतंत्र में आम नागरिक के लिए साहित्य एक बड़ा हथियार है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल एवं हजारी प्रसाद द्विवेदी जैसे हिंदी के महान रचनाकारों ने साहित्य और लोक की भूमिका पर गहराई से प्रकाश डाला है।

विशिष्ट वक्ता बिहार से आये प्रो. ब्रह्मदेव मंडल ने कहा कि साहित्य पर आधारित फिल्में जल्दी सफल नहीं होती परंतु एक सत्य यह भी है की बिना साहित्य की कोई फिल्म नहीं बन सकती। फिल्म और साहित्य को बराबरी में लाने के लिए कड़ी मेहनत की गई है जिसमें विदेशी निर्माता निर्देशकों बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण की वर्तमान दशा के लिए विश्व की सरकारें जिम्मेदार हैं। डॉक्टर इंद्रजीत मिश्रा ने कहा की सिनेमा और साहित्य दोनों ही समाज को व्यापक स्तर पर प्रभावित करते हैं, सिनेमा एक कला है और साहित्य उसकी जननी। प्रो. विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि पर्यावरण के बिना इस सृष्टि की कल्पना नहीं की जा सकती है। संचालन डॉ. विजय कुमार ने किया।

कार्यक्रम में विभिन्न लेखकों की पुस्तकों का विमोचन हुआ। महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो. सत्यगोपाल जी एवं अन्य अतिथियों ने गाँधी दर्शन, मनोहर श्याम जोशी के उपन्यासों में आधुनिक एवं उत्तर आधुनिक विमर्श सहित अन्य पुस्तकों का विमोचन किया। महासम्मेलन के अंतिम दिन सामाजिक सरोकार पर आधारित विभिन्न फिल्मों का प्रदर्शन हुआ। प्रवासन की समस्या पर आधारित स्वदेश देख सभी की आँखे नम हो गयी तो वहीं स्त्री वेदना पर आधारित अभिशप्त ने सबकी आँखे खोल दी। इसके अलावा मौन मंदिर, चलो प्रकाश की ओर, विसर्जन आदि फिल्मों का प्रदर्शन हुआ।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से प्रो. सत्यगोपाल जी, प्रो. समीर कुमार पाठक, रूपेश गुप्ता, डॉ. श्वेता सरन आदि विद्वत जन उपस्थित रहे।

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