विश्वविद्यालय के केंद्रीयकरण हेतु संकल्पित— उद्योगपति श्री आर•के• चौधरी ।

 

 

वाराणसी।यज्ञ सामूहिकता का प्रतीक है। अन्य उपासनाएँ या धर्म-प्रक्रियाएँ ऐसी हैं, जिन्हें कोई अकेला कर या करा सकता है; पर यज्ञ ऐसा कार्य है, जिसमें अधिक लोगों के सहयोग की आवश्यकता है। विश्व कल्याण हेतु, सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण एवं इस संस्था के पुनरुत्थान के लिये आयोजित संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण-महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है।

यज्ञ आयोजनों से सामूहिकता, सहकारिता और एकता की भावनाएँ विकसित होती हैं।महायज्ञ के आयोजन से क्षेत्र में सुबृष्ट होती है, आसपास का वातावरण शुद्ध होता है तथा मानव में सद्बुद्धि आती है।

उक्त विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय एवं विश्वविद्यालय विकास समिति के संयुक्त तत्त्वावधान में संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण- महायज्ञ की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा ने व्यक्त किया।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि काशी ज्ञान की नगरी है सनातन संस्कृति एवं संस्कृत की धारा काशी से ही प्रवाहित होती है।यह महादेव का स्थल है, संस्कृत महादेव की भाषा है इसका संरक्षण और संवर्धन यह संस्था 234 वर्षों से अनवरत कर रही है।इस विश्वविद्यालय के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये स्थायी निराकरण के लिए केंद्रीयकरण होना चाहिए।इसके लिए काशी के राजनेताओं, उद्योगपतियों, बुद्धजीवियों एवं अन्य से अपील किया जा रहा है कि संस्कृत भाषा के संरक्षण के लिए स्थापित इस प्राचीन विश्वविद्यालय के मूल की रक्षा करने के लिए आप सभी लोग संकल्पित भाव से उपाय करें, इसी से भारत, भारतीय और भारतीयता की रक्षा होगी।

कुलपति प्रो शर्मा ने कहा कि

इस महायज्ञ से प्राकृतिक वातावरण में शुद्धता और स्वस्थ जीवन का निर्माण होगा।

इस महायज्ञ के माध्यम से यहाँ के विद्यार्थियों को प्रायोगिक ज्ञान और इसके प्रभाव के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।

कुलपति प्रो आनंद कुमार त्यागी ने बतौर विशिष्ट अतिथि कहा कि विश्व गुरु बनना है तो संस्कृत शास्त्रों में निहित भारतीय ज्ञान परम्परा को आगे लाना होगा, इसमे संरक्षित ज्ञान को सर्व सुलभ बनाना होगा।आज या महायज्ञ उसी ज्ञान धारा का प्रारम्भ है जो कि जनकल्याण हेतु किया जा रहा है।

प्रसिद्ध उद्योगपति एवं विकास समिति के अध्यक्ष श्री आर के चौधरी ने महायज्ञ में आहुति देते हुए कहा कि विश्व बंधुत्व और भारतीय संस्कृति के संरक्षण करने वाली संस्था को केंद्रीयकरण होनी चाहिये।आज इसके लिए संकल्पित भावना से काशीवासी मिलकर केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने का प्रयास करें।केंद्रीय संस्था होने से इस संस्था के अभ्युदय एवं उत्थान मे कोई बाधा नहीं उत्पन्न होगी।

महापौर अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि यह संस्था सनातन संस्कृति के संवर्धन, पोषण और रक्षा के लिए निरन्तर कार्य कर रहा है, एक लाख से अधिक दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण भी इस संस्था द्वारा किया जा रहा है, जिसमें भारतीय ज्ञान परंपरा के बहुमूल्य रत्न निहित है।इस संस्था के अभ्युदय के लिए हम सभी मिलकर सहयोगी बने ।

आज के महायज्ञ में यजमान के रूप में महापौर ने यज्ञ कुंड में हवन सामग्री से आहुति दिया।

इसमें चारों वेदों ऋग्वेद,यजुर्वेद सामवेद एवं अथर्ववेद के मन्त्रो से हवन किया जा रहा है।इस तरह के महायज्ञ विश्व मे प्रथम बार एक वर्ष पर्यंत अनवरत चलने वाला यह महायज्ञ अपने आप मे विशिष्ट है। जिनमे अनेक यज्ञीय पदार्थों से प्रतिदिन नवकुण्डों में आहुति दी जाएगी। सामान्यतः चारों वेदों की संहिताओं के सम्पूर्ण मन्त्रो द्वारा आहुति होगी। विशेष अवसरों जैसे नवरात्री, श्रावण माह, दीपावली, कार्तिक माह आदि विशिष्ट अवसरों पर विशेष मन्त्रो दुर्गासप्तशती, रुद्री, पुरुष सूक्त, श्रीसूक्त आदि से भी हवन किया जायेगा।

आज से अनवरत संवत्सरव्यापी चतुर्वेदस्वाहाकार विश्वकल्याण-महायज्ञ पंच मंदिर से प्रात: 08:00 ग्यारह बजे सभी तीर्थों की पूजा करके बालिकाओं(पीले ड्रेस)एवं अन्य ने जलयात्रा के साथ प्रारम्भ कर पूर्वाह्न 10 बजे पंचांगपूजन

यज्ञशाला में मंडप पूजन किया।

 

 

पूर्वाह्न 11.00 बजे वैदिक पद्धतियों से अरणि मंथन द्वारा अग्निहोत्र डॉ ज्ञानेन्द्र साँपकोटा ने

अग्नि का प्राकट्य किया तथा अन्य वेदियों सर्वतोभद्र मंडल, योगिनी मण्डल, वास्तुमंडल, क्षेत्रपाल मंडल,नवग्रह आदि का पूजन भी किया गया।

इस महायज्ञ के संयोजक प्रो महेंद्र तथा संचालन श्री जयशंकर शर्मा ने किया।

आयोजन में उपस्थित ज़न कुलसचिव राकेश कुमार,मेयर अशोक कुमार तिवारी,काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास के अध्यक्ष प्रो नागेन्द्र पाण्डेय, विधायक गण क्रमशः (त्रिभुवन राम,अवधेश कुमार सिंह,सौरभ श्रीवास्तव)* पद्मश्री चन्द्रशेखर सिंह,पद्मश्री रजनीकांत द्विवेदी,

प्रसिद्ध समाजसेवी आर• के•चौधरी, वास्तुविद आर•सी•जैन,उमाशंकर अग्रवाल,अशोक अग्रवाल,रमेश चौधरी,बीएचयू से

प्रो रामाकांत पाण्डेय, डॉ हृदय नारायण पाण्डेय, प्रो कमलेश झां, प्रो भागवत शरण शुक्ल(काशी न्यास के),प्रो उपेन्द्र पाण्डेय,डॉ बी•बी ओझा,प्रो धर्म दत्त चतुर्वेदी, प्रो रजनीश कुमार शुक्ल,अर्चक डॉ ऋषि मिश्र,

डॉ विजय कुमार शर्मा, एफओ संतोष कुमार शर्मा सहित विश्वविद्यालय के आचार्यगण एवं परिवार आदि उपस्थित थे।

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