रिपोर्ट उपेन्द्र कुमार पांडेय, आजमगढ़ 

 

आजमगढ़।सनातन हिंदू धर्म में एकादशी पर्व व्रत का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष फाल्गुन माह में रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषाचार्य पं ऋषिकेश शुक्ल ने बताया की पौराणिक मान्यता है कि आमलकी एकादशी व्रत को सभी एकादशी व्रत में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। हर एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस वर्ष की रंगभरी एकादशी पुष्य नक्षत्र में पड़ने से आमलकी एकादशी व्रत का विशेष महत्व पूर्ण एवं मनोकामना पुरी करने वाले योग बन रहे हैं

रंगभरी एकादशी तिथि का शुभ मुहूर्त

आमलकी या रंगभरी एकादशी की तिथि 19 मार्च को रात में 12.24 बजे शुरू होगी और 20 मार्च को रात में 2,32 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च 2024, बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा

शोकाकुल परिवारों में शोक को उठाकर सभी शुभ कार्य करने के लिए यह दिन भी अच्छा माना गया है

रंगभरी एकादशी महाशिवरात्रि पर्व के बाद मनाई जाती है। पौराणिक मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह करने के बाद रंगभरी एकादशी के दिन काशी गए थे। एकादशी के दिन ही माता पार्वती का गौना हुआ था। रंगभरी एकादशी के पावन पर्व पर न सिर्फ महादेव की नगरी काशी बल्कि कृष्ण के ब्रज मंडली में भी रंगों का यह पावन पर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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