
वाराणसी। भारतीय भाषा समिति एवं उदय प्रताप कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में जगद्गुरु श्री शंकराचार्य व्याख्यान राजर्षि सभागार में आयोजित हुआ। मुख्य वक्ता जयप्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के पूर्व कुलपति प्रो हरिकेश सिंह ने कहा कि शंकराचार्य विश्व आध्यात्म के सबसे बड़े पीठाधीश्वर हैं। आज शंकर देश के सर्वकालिक महान व्यक्तियों में से एक हैं जिन्होंने मात्र आठ वर्ष की उम्र में समस्त वेदों का अध्ययन कर लिया था। विश्व में आध्यात्मिक विज्ञान की स्थापना का श्रेय आदिशंकर को ही जाता है।
विशिष्ट वक्ता अखिल भारतीय विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रो कामेश्वर उपाध्याय राग, बैराग, द्वेष , विद्वेष किसी भी रूप में अद्वैत को स्वीकारना या नकारना आदिशंकर को स्थापित करता है सनातन धर्म की पुनर्स्थापना तथा समृद्ध करने का कार्य। आदि शंकर ने जिस प्रकार से सनातन को बचाने के लिए संघर्ष किया उसी प्रकार के संघर्ष की आज भी आवश्यकता है। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के
तुलनात्मक धर्म दर्शन विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरिप्रसाद अधिकारी ने कहा कि आठवीं शताब्दी में उत्पन्न एक बालक ने भारत की एकता और अखण्डता के बारे में चिंतन कर पूरे भारत का भ्रमण कर चार पीठों की स्थापना किए थे। अध्यक्षता प्राचार्य प्रो धर्मेंद्र कुमार सिंह, संयोजन शिक्षक शिक्षा विभाग अध्यक्ष प्रो रमेश धर द्विवेदी ने किया। स्वागत प्राचार्य प्रो धर्मेंद्र कुमार सिंह, विषय स्थापना प्रो. नीलिमा सिंह ने किया। धन्यवाद ज्ञापन संयोजक प्रो रमेश धर द्विवेदी, संचालन प्रो रेणु सिंह ने किया ।
इस अवसर पर प्रो जयराम सिंह, प्रो रामसुधार सिंह, प्रो दिवाकर सिंह, प्रो ओमकार सिंह, प्रो शालिनी सिंह, डॉ शशिकांत द्विवेदी, प्रो संजय शाही, प्रो सुधीर शाही डॉ विजय कुमार सिंह , डा संजय स्वर्णकार आदि थे।
