
काशी उद्घोषणा के संकल्प के साथ दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन
वाराणसी।अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र के तत्वावधान में आयोजित “राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के बाद भारतीय उच्च शिक्षा: अवसर एवं चुनौतियां” विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी आज सम्पन्न हुआ।
रविवार को व्याख्यान सत्र के आरंभ में प्रोफेसर रजनीश जैन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने में यूजीसी द्वारा निर्देशित सुधरो के ऊपर विस्तृत चर्चा की।
इसी क्रम में उच्च शिक्षा में प्रशासन विषय पर प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह, कुलपति, प्रोफेसर रज्जू भैया विश्वविद्यालय ने विस्तृत प्रकाश डाला। प्रो. सी. बी. शर्मा में भविष्य के शैक्षणिक समाज के लिए दृष्टि एवं नेतृत्व विषय पर विस्तृत विचार मंथन किया। प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह ने शैक्षणिक नीतियां एवं उनका क्रियान्वयन विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें नीतियों के क्रियान्वयन को धरातल पर लाना होगा। इनके क्रियान्वयन के पश्चात हमें आत्म मूल्यांकन करना होगा कि हमने कितने ईमानदारी से नीतियों को धरातल पर लाया है। अगले विषय विशेषज्ञ के रूप में प्रोफेसर पवन कुमार शर्मा ने उच्च शिक्षा में मानवीय मूल्यों पर प्रकाश डालते हुए विस्तार से उपनिषदों के उदाहरण के साथ मानवीय मूल्य एवं इसके महत्व को समझाया। उन्होंने यह रेखांकित किया कि नई शिक्षा नीति बार-बार भारत केंद्रित शिक्षा की बात करती है। विशिष्ट व्याख्यानों के बाद संपूर्ति सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर रमाशंकर दुबे कुलपति, गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 वह शिक्षा नीति है जो भारत केंद्रित शिक्षा की बात करती है, जो छात्रों के सर्वांगीण विकास की बात करती है, जो स्थानीय भाषा में शिक्षा की बात करती है। 
उन्होंने कहा कि आज छात्रों के पास सीखने की अनंत संभावनाएं हैं। यह पहली शिक्षा नीति है जो छात्रों के सर्वांगीण विकास पर ध्यान देती है। शिक्षक तब तक सफल नहीं माना जाएगा जब तक वह राष्ट्र सेवा के लिए राष्ट्रपूतों का निर्माण न करें। विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित प्रोफेसर अखिलेश कुमार सिंह, कुलपति, रज्जू भैया विश्वविद्यालय ने कहा कि मैंने लगभग 182 महाविद्यालयों का भ्रमण किया और करीब 1000 से अधिक छात्रों से मिला। सबसे मिलने के बाद यह ज्ञात हुआ कि छात्र महाविद्यालय में कम पहुंचते हैं। अब यदि छात्र महाविद्यालय नहीं जाएंगे तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ उन्हें किस प्रकार मिलेगा ? फिर हमने इस समस्या के समाधान के लिए ब्लेंडेड मोड लर्निंग आरंभ किया और यह अध्यापन विधि कारगर साबित हुई । राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमें ऐसे अनंत अवसर प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि जीवन में चुनौतियां बहुत हैं पर उन्हें पार करने का रास्ता भी हमारे ही पास है। 
सत्र की अध्यक्षता करते हुए अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रोफेसर प्रेम नारायण सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत में भारतीय शिक्षा के लक्ष्य को पूर्ण करने हेतु बनी है। यह हमारे देश को पुनः विश्व गुरु बनाने के लक्ष्य को दृष्टिपथ में रखकर बनाई गई शिक्षा नीति है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि यदि आपने अपने जैसे पांच अध्यापक तैयार कर दिए तो आपका शिक्षक होना सफल है, अन्यथा की स्थिति में आप सिर्फ नौकरी कर रहे हैं। सरकार ने तो नीति बना दी है अब आवश्यकता है हमें नीयत बनाने की। कार्यक्रम में देशभर से 100 से अधिक विद्वानों एवं शोधकर्ताओं ने भाग लिया दर्जन भर से ज्यादा शोध का वाचन किया गया तथा कई संबंधित मुद्दों पर गंभीर विचार विमर्श किया गया।
कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डॉक्टर राज सिंह, समन्वयन डॉक्टर सुनील कुमार त्रिपाठी एवं संचालन डॉक्टर कुशाग्री सिंह ने किया। अंत में संगोष्ठी से प्राप्त निष्कर्ष, सुझाव तथा भावी कार्य योजना को काशी उद्घोषणा के रूप में प्रकाशित करने के संकल्प के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ !
