
डीएवी में शुरू हुई भारतीय राजनीतिक चिंतकों पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला
वाराणसी।डीएवी पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के तत्वावधान में सोमवार को भारतीय राजनीतिक चिंतक एवं उनकी वर्तमान प्रासंगिकता विषयक पर सात दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आज शुभारंभ हुआ।
कार्यशाला के उदघाटन सत्र में मुख्य वक्ता, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के समाज विज्ञान संकाय के पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम प्रवेश पाठक ने ‘शासन काल पर कौटिल्य के विचार’ विषय पर वक्तव्य दिया। प्रो. पाठक ने कहा कि कौटिल्य का सिद्धांत राजतंत्रात्मक व्यवस्था का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। कौटिल्य राजा और राज्य में विभेद नही करते और राजा को सेवक के बराबर ही दर्जा देते है। कौटिल्य के अनुसार प्रजा रक्षण राजा का महत्वपूर्ण दायित्व है, जो राजा अपनी प्रजा की रक्षा करने में असफल हो जाते है वे राज्य सहित नष्ट हो जाते है।
उन्होंने कहा कि असल लोक प्रशासन कौटिल्य के अर्थशास्त्र में निहित है, जिसमे वे राजकोष को सशक्त करने के पक्षधर दिखलाई पड़ते है। युद्धकाल, शासन प्रक्रिया और अंतरराष्ट्रीय नीति पर कौटिल्य के विचार सदैव अनुकरणीय ही रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि कौटिल्य के जनपद में जन और पद दोनों की बराबर सहभागिता रहती है। इसमें नागरिकों के अधिकार के साथ साथ दण्ड विधान भी शामिल है। यही विचार लोक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को पुष्ट करते है।
अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रो.सत्यगोपाल जी ने कहा कि भारत की राजनीतिक विचार परम्परा काफी समृद्धशाली रही है, जो दुनियाभर के लिए सदैव प्रभावकारी रही है। कौटिल्य के राजनीतिक विचार में समाजवाद की झलक मिलती है तो राष्ट्रवाद का भाव भी समान रूप से शामिल है। कार्यशाला का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। स्वागत कार्यक्रम संयोजक डॉ.प्रतिमा गुप्ता, संचालन डॉ. प्रियंका सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. स्वाति सुचरिता नंदा ने दिया।
इस मौके पर मुख्य रूप से प्रो. मिश्रीलाल, प्रो. मधु सिसोदिया, प्रो. इंद्रजीत मिश्रा, डॉ. शोभनाथ पाठक, डॉ. जियाउद्दीन, डॉ. हसन बानो, डॉ. महिमा सिंह, डॉ. विकास सिंह, डॉ. गिरीश दुबे, डॉ. गौरव मिश्रा आदि शामिल रहे।
