वाराणसी। जिला आर्य प्रतिनिधि सभा व काशी आर्य समाज के संयुक्त तत्वावधान में बुलानाला स्थित महर्षि दयानन्द सरस्वती जी द्वारा 15 अप्रैल सन् 1880 में स्थापित आर्य समाज में राष्ट्र भृत्ति यज्ञ आचार्य पं रामदेव शास्त्री व सत्येन्द्र आर्य के आचार्यत्व में व गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें विशिष्ट वक्ता नन्दलाल आर्य ने कहा कि महर्षि ने कोई नया मत या पंथ न बनाकर वेदों पर आधारित आर्य समाज का गठन कर सर्व प्रथम स्वतंत्रता की उद्घोषणा करते हुए सामाजिक कुरीतियों को दूर करने का भरसक प्रयास किया । मुख्य वक्ता शम्भू नाथ शास्त्री ने कहा कि महर्षि दयानंद ने मानव हित हेतु आर्य समाज के दस नियमों को दिया । महर्षि दयानन्द के विचारों को वर्तमान सरकार भी आत्मसात कर रही है । कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला सभा के प्रधान प्रमोद आर्य ‘आर्षेय’ ने किया। संचालन सत्येन्द्र आर्य, संयोजन आचार्य पं रामदेव शास्त्री ने किया । नवनिर्वाचित जिला सभा के दायित्वधारियों का स्वागत व अभिनन्दन काशी आर्य समाज के प्रधान रामाशंकर आर्य द्वारा किया गया । धन्यवाद ज्ञापन काशी आर्य समाज की सरस्वती देवी ने दिया । इस अवसर पर जिला सभा के मंत्री रवि प्रकाश आर्य व कोषाध्यक्ष प्रदीप आर्य सहित अन्य समाजों के सदस्य सीए विष्णु प्रसाद, अजीत कुमार, अखिलेश, वैभव कुमार, चन्द्रदीप, चन्द्रमा, चन्द्रपाल, अमरजीत, गोपालदास, उदय, आर्य रवि प्रकाश बरनवाल, राहुल एडवोकेट, संदीप पाण्डेय, अजय जायसवाल, वेद प्रकाश बृजवासी, गायत्री व अनीता आर्या आदि उपस्थित थे।

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