लखनऊ।शिवमय गंगोत्सव एवं बोल-बम सावन सम्मान मंचीय एवं आनलाईन प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के प्रदेश संयोजक कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक के प्रमुख संयोजन/संचालन में,अवध के प्रख्यात कवि सुखमंगल सिंह मंगल के स्वागत संरक्षण में, लखनऊ के कवि डॉ. पारसनाथ श्रीवास्तव के स्वागत संयोजन में प्रेरणा हिन्दी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कवि संगम त्रिपाठी जबलपुर , श्रीप्रकाश कुमार श्रीवास्तव गणेश एवं कवि गिरीश पाण्डेय बनारसी के प्रमुख संरक्षण में लखनऊ महानगर के इंदिरा नगर लेखराज मैट्रो स्टेशन के निकट लेखराज सहारा शापिंग सेंटर में अवधी के प्रख्यात कवि प्रवीण कुमार पाण्डेय आवारा के अध्यक्षता में, कवि इंद्रजीत निर्भीक के संचालन में संपन्न हुआ।

मां वीणा वादिनी का वंदना कवि सच्चिदानन्द तिवारी शलभ ने -मां वीणा वादिनी का वंदना अब शब्द सुमन लेकर, भोजपुरी में वंदना कवि इंद्रजीत निर्भीक ने – आव हे वीणा वाली,आव हंस वाहिनी, आसरा क लेले बानी थाली हे वीणा वाली शब्द सब संवार द,शिव वंदना -कवि मोहन सिंह बिष्ट ने -बोले बम-बम,हर -हर , बम-बम,महादेवा ने सबको झूमने पर मजबूर कर दिया।

डॉ. जयप्रकाश तिवारी ने – हे भोले बन्द अधर अब खोलो, चाहते हैं मानव सब एक बार मुंह से बोलो,हे भोलेनाथ बन्द अधर अब खोलो, भक्तों सब हर – हर, बम-बम बोलो, इंद्रजीत निर्भीक ने-शिवशंकर की महिमा जग में, अदभुत अपरंपार है,जो भाव से पूजन करता,उसका होता उद्धार है,डॉ . पारसनाथ श्रीवास्तव ने -सोच रहा हूं मिलकर तुमसे,मेघ नहीं बरसाऊंगा, सुखमंगल सिंह मंगल ने – ना मांग किसी और से उषा की रश्मियां,खुद से ही अपने आप में खुद प्रकाश कर,उपमा आर्य सहर ने -तेरी आंखों में है सच्चाई बहुत, तेरे दर पे हम सबको मिलती है राहत बहुत, अवधी के कवि प्रवीण कुमार पाण्डेय आवारा ने -सोचि रहेन बाबा बनि जाई,याईमा बाटै बहुत कमाई,उमा लखनवी ने -रंज किससे हो मलाल किससे हो, कौन अपना,सवाल किससे हो, आर्य दीनबंधु सरल ने -मैं डूबना चाहता हूं फिर कहां डूंबू,चारों तरफ़ दिख रहा दल-दल है, प्रतिभा श्रीवास्तव ने – ज़िन्दगी को खुशी के खातिर, अपने गमों को भुला दीजिए,सारे गिले-शिकवे को भुलकर इक बार मुस्कुरा दीजिए, विनय पाण्डेय बहुमुखी ने – चलते- चलते छल दिये,सारे मानवतावाद को दरकिनार कर नेता जी हर जन-जन को मसल दिये सहित अनेकों रचनाओं से श्रोताओं को रचनाकारों ने गुदगुदाया।

तत्पश्चात बोल-बम सावन सम्मान विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 108 लोगों को मंचीय एवं आनलाईन भेंट किया गया। आयोजन को सफल बनाने के लिए विक्रमादित्य तिवारी, प्रमोद श्रीवास्तव, जगमोहन सिंह राजपूत, भानुप्रताप शुक्ल, पुनीत सिंह, विशेष रूप से सक्रीय रहे। स्वागत संबोधन कवि सुखमंगल सिंह मंगल एवं डॉ. पारसनाथ श्रीवास्तव धन्यवाद आभार कवि इंद्रजीत तिवारी निर्भीक निर्भीक ने किया।

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