वाराणसी । योगीराज देवरहवा बाबा की 35वीं पुण्यतिथि रविवार को असि स्थिति देवरहवा बाबा आश्रम (द्वारकाधीश मंदिर) में मनाई गई।

समारोह का शुभारंभ प्रातः काल आश्रम के कोठारी राम अभिलाष दास महाराज, स्वामी रामदास महाराज, स्वामी अखंड दास महाराज ने देवरहा बाबा के आदमकद प्रतिमा का वेद मंत्रो के बीच विधि विधान से पूजन अर्चन करके किया ।

पश्चात आश्रम में चल रहे नव दिवसीय श्रीरामचरितमानस नवाह पारायण पाठ का समापन हुआ।

स्वामी रामदास महाराज ने अयोध्या, वृंदावन, मथुरा चित्रकूट से आए साधु संतों का सम्मान किया।

इस अवसर पर आयोजित विद्वत सभा को संबोधित करते हुए राम अभिलाष दास महाराज, राम अखंड दास महाराज, डॉ श्रवण दास महाराज, स्वामी राम लोचन दास महाराज, स्वामी सियाराम दास महाराज, स्वामी रामदास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन योगीराज देवरहवा बाबा का जीवन भगवान के भक्ति में जहां रमा हुआ था वही वह दीन दुखियों की सेवा के लिए 24 घंटे तत्पर रहते थे। वह एक सच्चे योगी भी थे और योग के माध्यम से वह भगवान से साक्षात साक्षात्कार भी करते थे । मचान पर बैठकर बाबा दीन दुखियों का कष्ट दूर करते थे। उन्हें जीवन पथ पर चलने के सुगम मार्ग बताते थे । साथ ही कहा करते थे कि भगवान के चरणों में जिसका मन रम गया उसे सभी सुखों की प्राप्ति हो जाती है ।

देवरहवा बाबा एक ऐसे संत थे जो जीवन भर दीन दुखियों का कष्ट दूर करने के लिए ही लग रहे और उनके प्राण आज से 35 वर्ष पूर्व योगिनी एकादशी के ही दिन वृंदावन में निकला और वह भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समाहित हो गए।

समाज सेवी रामयश मिश्र ने कहा की देवरहवा बाबा देवरिया जिले के मईल ग्राम के रहने वाले थे और वहीं सरजू नदी के तट पर पर मचान पर कुटिया बनाकर रहते थे और दीन दुखियों की सेवा करते थे। साथ ही वह भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे । वहीं पर स्थित एक गुफा में समाधि लगाकर भगवान की भक्ति करते थे । जो भी दिन दुखी आश्रम पर आता उसके कष्ट को दूर करते । उनका कब जन्म हुआ कितने साल के थे ये एक रहस्य ही था । उनका आशीर्वाद लेने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सहित देश के बड़े-बड़े राजनीतिक और नौकरशाह आश्रम में आते थे और उनसे आशीर्वाद लेते थे। देवरहवा बाबा सनातन धर्म के उत्थान के लिए हमेशा लगे रहते थे साथ ही वह दीन दुखियों की सेवा भी करते थे।

विद्वत सभा के बाद परम विभूति पूज्य देवरहा बालक बाबा महाराज अन्य क्षेत्र जौनपुर द्वारा भव्य भंडारा का आयोजन आश्रम में किया गया।

देवरहा बालक बाबा के शिष्य मारकंडेय सिंह उर्फ मुन्ना के देखरेख में भव्य फलाहारी भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें काशी के सभी मठ मंदिरों के हजारों संत महंत एवं गृहस्थो ने प्रसाद ग्रहण किया।

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