
भूपेन्दानन्द
रिपोर्ट उपेन्द्र कुमार पांडेय
आजमगढ़।व्रत विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है।
व्रत रखने का समय और विधि –
1 ) सूर्योदय से पहले ( लगभग सुबह 6:00 बजे से पहले ) सास या परिवार द्वारा दी गई साग ग्रहण करें। इसमें फल, मिठाई, आदि शामिल होते हैं।
2) व्रत का समय- सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखें।
3) पूजा मुहूर्त:- शाम 5:57 बजे से 7:11 बजे तक सबसे शुभ समय। गणेश जी, शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा करें। करवा माता की कथा सुनें।
4) व्रत उद्यापन – चंद्रमा दर्शन के बाद जल से पारण करें।
यह त्योहार पति-पत्नी के अटूट बंधन का प्रतीक है। व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है। सभी महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजें, मेहंदी लगाएं। भूपेन्द्रानन्द गुरु जी।
