वाराणसी। विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को डीएवी पीजी कॉलेज में मनोविज्ञान विभाग एवं सिफ्सा द्वारा संचालित यूथ फ्रेंडली सेंटर के संयुक्त तत्वावधान में ‘मनोविज्ञान सामाजिक परिप्रेक्ष्य में आत्महत्या विचार का आकलन एवं प्रबंधन’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सिम्पोजियम का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता आईएमएस, बीएचयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक प्रोफेसर अच्युत कुमार पाण्डेय ने मनोविज्ञान के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आत्महत्या का मूल कारण तनाव ही है, ऐसे में आत्महत्या को अपराध की श्रेणी से हटाकर बीमारी की श्रेणी में शामिल किया गया है। युवाओं में आत्महत्या के मामलों में काफी वृद्धि हो रही है यदि ऐसे ही आंकड़े बढ़ते रहे तो भारत अपनी युवा आबादी को खो देगा। प्रोफेसर अच्युत कुमार पाण्डेय ने कहा कि आत्महत्या के ज्यादातर मामलों में व्यक्ति कुछ समय पहले कोई न कोई संकेत अवश्य देता है जिसे पहचानना एक अच्छे मनोचिकित्सक का गुण है, ऐसे मानोरोगियों की जान बचाना बहुत सरल है बस आवश्यकता है उन मरीजों के संकेत को पहचान कर उसे दरकिनार ना करना। मानसिक अवसाद, अकेलेपन की समस्या, शराब और नशे की लत, असफल प्रेम, बेरोजगारी आदि समस्याओं के कारण लोगों में तनाव बढ़ रहा है और वें आत्महत्या की ओर उन्मुख हो रहे है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनोवैज्ञानिक का यह दायित्व है कि वह मनोरोगी द्वारा दी गई आत्महत्या की धमकी को हल्के में ना लें और उनके साथ परस्पर मित्रवत व्यवहार कर समस्या को समाधान की ओर ले जाए।
अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के कार्यकारी प्राचार्य प्रोफेसर सत्यगोपाल जी ने कहा कि व्यक्ति जब स्वयं को अकेला और उपेक्षित महसूस करता है तब उसके अंदर आत्महत्या जैसी प्रवृत्ति जागृत होती है। मनोचिकित्सक मनोरोगियों की पूरी बात को सुनकर उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएं ना कि अपना पक्ष रखें। उनके साथ ऐसा व्यवहार करें ताकि मरीज अपनी पूरी समस्या खुलकर बता सके। यह मनोचिकित्सकों का दायित्व है कि वे युवाओं को प्रेरित करें और उन्हें सकारात्मक पहलुओं की ओर मोड़े। अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ऋचारानी यादव ने पुष्पगुच्छ, अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया। संचालन डॉक्टर अखिलेन्द्र कुमार सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन सिफ्सा की कार्यक्रम अधिकारी डॉक्टर कल्पना सिंह ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉक्टर कमालुद्दीन शेख, डॉक्टर संगीता जैन, डॉक्टर हसन बानो, डॉक्टर वंदना बालचंदनानी, डॉक्टर महिमा सिंह आदि अध्यापकों सहित बड़ी संख्या में मनोविज्ञान के विद्यार्थी उपस्थित रहे।