वाराणसी। ठाकुर प्रसाद सिंह स्मृति साहित्य संस्थान की ओर से शुक्रवार की शाम साहित्यकार ठाकुर प्रसाद सिंह की 99वीं जयन्ती मनाई गई। नगर के साहित्यकारो, शिक्षाविदों एवं क्षेत्रीय नागरिकों ने (नाटी इमली चौराहा) स्थित ठाकुर प्रसाद सिंह के स्मारक पर “दीपदान” कर उनकी प्रतिमा पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर ठाकुर प्रसाद के शताब्दी वर्ष का शुभारम्भ हुआ। मुख्य अतिथि पूर्व आईएएस व अप्रतिम पत्रिका के सम्पादक वीरेन्द्र कुमार सिंह ने कहा कि ठाकुर प्रसाद सिंह बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार थे। उन्होने लेखन, सम्पादक, शिक्षक, आयोजक, और संगठनकर्ता आदि रूप में हिन्दी की जो सेवा की वह अतुलनीय है। अध्यक्षता समीक्षक व साहित्यकार डॉ. रामसुधार सिंह ने कहा कि ठाकुर प्रसाद सिंह के मन में गांधी के विचार दर्शन और जीवन मूल्यों के प्रति गहरी आस्था दिखाई पड़ती है। समाज परिवर्तन की साम्यवादी अवधारणा के प्रति सघन विश्वास भी झलकता है। कुब्जा सुन्दरी, आदिम, सात घरों का गांव, चौथी पीढ़ी, पदक्षिणा, नये घर पुराने लोग, हारी हुई लड़ाई लड़ते हुए, मोर पंख, हम अपनी परम्परा नहीं छोड़ेंगे आदि लगभग 30 कृतियों की उन्होने रचना की। इस अवसर पर डा. जितेन्द्र नाथ मिश्र, डा. उदा नंद, डॉ मुक्त, डॉ. महेन्द्र प्रताप, डॉ. अशोक कुमार सिंह, शैलेन्द्र कुमार, डॉ. पवन कुमार शास्त्री विपीन कुमार, सलाम बनारसी, डॉ. उमेश चन्द्र वर्मा, प्रजा नारा रामा, लक्ष्मण केडिया, प्रखर प्रकाश, दिनेश पाण्डेय आदि थे। संयोजन राजनारायण ने किया।

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