
वाराणसी।भारत सरकार के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने ज्ञान भारतम (राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन) के द्वारा सरस्वती भवन में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण केन्द्र में चल रहे संरक्षण कार्यों का सूक्ष्मता से निरीक्षण कर प्रत्येक विंदु को देखते हुए दुर्लभ पांडुलिपियों में संरक्षित ज्ञान तत्वों पर चर्चा किया। संरक्षण के अनुरूपण यन्त्र को देखते हुये ट्रीटमेंट कार्यों को गति देने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत दुर्लभ पांडुलिपियों का संरक्षण, दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण किया जा रहा है। इस मिशन का उद्देश्य दुर्लभ पांडुलिपियों को बचाना, उनका रखरखाव करना और उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए सुलभ बनाना है।
पांडुलिपियों का संरक्षण और दस्तावेजीकरण
डिजिटलीकरण और ऑनलाइन उपलब्धता
प्रसार और जागरूकता फैलाना
विश्वविद्यालय की भूमिका-
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन का प्रमुख भागीदार
श्रीमद्भागवतम् (पुराण) संवत-1181 देश के प्राचीनतम कागज पर आधारित पांडु लिपी, भगवत्ता -स्वर्णाक्षरों में लिपी, दुर्गासप्तशती चित्रों के चित्र पर दो इंच की चौड़ाई वाली रील में अतिसूक्ष्म (संवत 1885 मग्नि पुरालेख ग्लास से देखा जा सकता है), रसपंचाध्यायी (सचित्र)-पुराणोतिहास विषय में सम्मिलित-देवनागरी लिपि (कृष्ण पुराण में वर्णित) निहित, कामवाचा (त्रिपिटक पर अंश), वर्मी लिपि- स्वर्ण समुद्र पर लाख पत्र, ऋग्वेद संहिता भाष्यम् इसके साथ ही लाह, भोजपत्र, वस्त्र काष्ठ सहित कागज पर लिपि लिपि पांडुलिपियां शामिल हैं।
विभिन्न लिपियों में लिपिबद्ध हैं पांडुलिपियां इसके साथ ही ये पांडुलिपिया देवनागरी, खरोष्ठी, मैथिली, उड़िया, गुरुमुखी, तेलगु, कन्नड़ और संस्कृत की विभिन्न लिपियों में लिखी गई हैं।
